कहाँ है बचपन

पापा मुझको नहीं चाहिए पीएसपी, कंप्यूटर
मुझको तो बस लाकर दे-दो अपना वाला बचपन

दादा-दादी, चाचा-चाची, ताया-ताई वाला घर
बड़े से घर की बड़ी सी छत पर भागूँ मैं दिन-दिन भर

कैसे बारिश होती झमझम कैसे बादल आते गड़-गड़
मैं भी बारिश में भिगूँगा खुश होऊँगा नाव चलाकर

ऐंठ रहा है भारी बस्ता मेरे कंधो पर चढ़कर
कभी तो बोझ उठा-उठाकर बैठ जाता हूँ थक्कर

पापा उस स्कूल में भेजो जहा न हो कोई 'लेक्चर'
'होमवर्क' न करने पर भी शाबाशी देती हैं 'टीचर'

सुनता हूँ मम्मी होतीं हैं कुदरत का 'एडवेंचर'
पर वो भी तो नहीं समझतीं इस बच्चे का 'नेचर'

मन में मेरे झांक न पाई पढ़ गई सारा 'फ्यूचर'
बोझ पढाई का बहुत था उस पर लग गये 'ट्युशन टीचर'

मुझको बहुत डाराता है ये ऊँची दीवारों का घर
गेट सदा ही बंद रहता है कैसे खेलूं बाहर

'टीवी' के इन 'कार्टूनों' से घूम गया है मेरा सर
दोस्तों को ही मेरे बुला दो खेलेंगे हम जमकर

'मॉल्स' का शोर है मुझे सताता 'राइड्स' में आते चक्कर
मुझे है देखना गाँव का मेला और हँसाता जोकर

पापा मुझको नहीं चाहिए पीएसपी व कंप्यूटर
मुझको तो बस लाकर दे-दो अपना वाला बचपन

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