बहुत याद आता है

1- बहुत याद आता है मुझको
वो छोटे से मुहल्ले का बड़ा सा मेला
वो टूटे बाँध सा उमड़ा
विचित्र रोमांच से भरा
औरतो, बच्चो,बुढो,और जवानो का रेला
2-वो गर्द के पर्दे में छिपता
अंदरसे की गोलियों
और पकौडियो का धुधला सा ठेला
वो मामू की ऊँगली पे जकड़ी नन्ही हथेली
वो हाथो में लटका खिलौनों का थैला
3-वो औरतो की चीत्कार का आसमानी झूला
वो बच्चो की चिल्लम -चिल्ली और चकर चू
का झूला ………………………………………………….
वो अनगिनत लाउडस्पीकरो की फूहड़ क़तारे
वो गीतों ,कव्वाली का उलझा झमेला ………….
पर क्यों याद आता है मुझको ….
वो छोटे से मोहल्ले का बड़ा सा मेला !